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ईज ऑफ डूइंग बिजिनेस

ईज ऑफ डूइंग बिजिनेस

उदारीकरण के बाद देश में इस्पात की उपलब्धता बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा निम्नलिखित नीतिगत पहलें की गई हैं

  • सार्वजनिक क्षेत्र के लिए आरक्षित उद्योगों की सूची से इस्पात क्षेत्र को हटाकर निजी क्षेत्र के लिए भी खोला गया।
  • अनिवार्य लाइसेंस से इसे छूट दिया जाना।
  • विदेशी प्रौद्योगिकी के आयात के साथ-साथ विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को अब स्वत: मार्ग के तहत कुछ सीमाओं तक स्वतंत्र रूप से अनुमति दी गई है।
  • एक सुविधाप्रदाता के रूप में, सरकार इस्पात क्षेत्र के विकास के लिए राजकोषीय और अन्य नीतिगत कदम उठाती है। वर्तमान में, इस्पात के लिए मूल उत्पाद शुल्क 14% निर्धारित है और इस्पात वस्तुओं पर कोई निर्यात शुल्क नहीं है। सरकार ने निम्न ग्रेड (Fe 58% से कम) लौह अयस्क लंप और फाइंस को छोड़कर लौह अयस्क के सभी रूपों पर 30% का निर्यात शुल्क भी लगाया है। इसके अलावा लौह अयस्क पैलेट पर निर्यात शुल्क शून्य है।

अन्य सरकारी पहलें:

  •  कच्चे माल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए, सरकार ने खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2015 और उसके तहत नियम जारी किए थे, जिसमेंकच्चे माल के आवंटन में पारदर्शिता लाने के लिए ‘निर्दिष्ट अंतिम उपयोग’ हेतुलौह अयस्क के आवंटन का प्रावधान है। यह कंपनियों के विलय और अधिग्रहण के दौरान नीलामी के माध्यम से अन्यथा प्रदत्तकैप्टिव खनन पट्टों के हस्तांतरण की भी अनुमति देगा, जिससे कंपनियों को लाभप्रदता को बढ़ाने में आसानी होगी और कैप्टिव पट्टों से खनिज अयस्क की आपूर्ति पर निर्भर कंपनियों की लागत में कमी आएगी। हस्तांतरण संबंधी प्रावधान बैंकों और वित्तीय संस्थानों को स्ट्रेस्ड परिसंपत्तियों को परिसमाप्त करने की सुविधा प्रदान करेंगे जहां एक कंपनी या उसके कैप्टिव खनन पट्टे को गिरवी रखा जाता है।
  • 1,000 करोड़ रुपये (यूएस $ 152 मिलियन) या उससे अधिक के निवेश से संबंधित विभिन्न मंजूरियों / मुद्दों के समाधान में तेजी लाने के लिए मंत्रिमंडल सचिवालय के तहत एक परियोजना निगरानी समूह (पीएमजी) का गठन किया गया है।
  • इस्पात क्षेत्र में दबाव को कम करने के लिए, भारतीय रिजर्व बैंकने जुलाई 2015 में 5:25 योजना का विस्तार किया है, जिसके तहत बुनियादी ढाँचे और मुख्य उद्योग क्षेत्रों में परियोजनाओं के लिए ऋण की लंबी परिशोधन अवधि, अर्थात्25 वर्ष, जो परियोजना केआर्थिक जीवन या रियायत अवधि पर आधारित होगी, की आवधिक पुन: वित्तपोषण के साथ, अर्थात्हर 5 साल में, अनुमति दी गई है।
  • इस्पात की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए, इस्पात के लिए 113 भारतीय मानक सरकार द्वारा जारी किए गए गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों के तहत लाए गए हैं। इससे देश में इस्पात की घटिया गुणवत्ता के उत्पादन को दूर रखने में मदद मिलेगी।
  • इस्पात मंत्रालय ने इस्पात क्षेत्र से संबंधित आवश्यक जानकारी जैसे कि, मंत्रालयों की नीतियां, विभिन्न प्रोत्साहन योजनाएँ और अवसर ताकि निवेशकों को निवेश संबंधी निर्णय लेने में सुविधा हो,प्रदान करने के लिए एक निवेश सुविधा सेल का गठन किया है।