लौह और इस्पात उद्योग की प्रकृति जोखिममय होती है और कर्मचारियों के लिए कार्य का सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करने तथा दुर्घटनाओं को भी रोकने/इनकी संभावना को खत्म करने के लिए सभी हितधारकों द्वारा समन्वित प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।
इस्पात मंत्रालय ने इस्पात उद्योग के सभी हितधारकों, उद्योग संघों तथा ख्यातिप्राप्त शैक्षणिक संस्थाओं के साथ व्यापक चर्चाएं कीं ताकि सुरक्षा हेतु साझा न्यूनतम दिशानिर्देशों का एक सेट तैयार किया जा सके जो भारतीय इस्पात उद्योग द्वारा अंगीकरण के लिए न्यूनतम सुरक्षा बेंचमार्क के रूप में कार्य कर सके। इन दिशानिर्देशों को सुसाध्य बनाने के लिए, इस्पात मंत्रालय ने हितधारकों में से विशेषज्ञों वाले कार्य समूह के रूप में विशेषज्ञों की एक कोर टीम गठित की।
हितधारकों के मूल्यवान इनपुट एवं प्रयासों के परिणाम के रूप में, लोहा और इस्पात क्षेत्र के लिए 25 सुरक्षा दिशानिर्देश बनाए गए हैं। ये दिशानिर्देश विशिष्ट कार्यकलापों / भारतीय इस्पात उद्योग (वृहत तथा लघु, दोनों) के समक्ष आ रहे खतरों से संबंधित हैं। इन दिशानिर्देशों को इस्पात मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है और भारतीय इस्पात उद्योग के हितधारकों से इन दिशानिर्देशों का पूर्णरूपेण अंगीकरण करने का आग्रह किया गया है।
इन दिशानिर्देशों को एक पुस्तक अर्थात्“लोहा और इस्पात क्षेत्र के लिए सुरक्षा दिशानिर्देश” के रूप में माननीय इस्पात मंत्री द्वारा 17 फरवरी, 2020 को जारी किया गया। इस पुस्तक की प्रतिलिपि को नीचे दिए गए लिंक से डाउनलोड किया जा सकता है।